मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक सनसनीखेज सरकारी नौकरी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें कम से कम पांच लोगों ने स्कूल शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्तियां हासिल कीं।
इन लोगों ने अपने माता-पिता की मृत्यु का झूठा दावा किया, जबकि उनके माता-पिता न केवल जीवित हैं, बल्कि उन्होंने कभी शिक्षा विभाग में काम भी नहीं किया।
घोटाले का खुलासा और जांच के आदेश
रीवा संभाग के आयुक्त बीएस जामोद ने इस घोटाले के सामने आने के बाद रीवा, सतना, सिद्धि, और सिंगरौली जिलों में पिछले तीन वर्षों में अनुकंपा के आधार पर की गई सभी नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने बताया, "स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले तीन वर्षों में अनुकंपा के आधार पर की गई सभी नियुक्तियों की जांच के लिए आदेश जारी किया गया है।
जांच समिति का नेतृत्व जिले के एसडीएम करेंगे, जिसमें शिक्षा और कोषागार विभाग के एक-एक अधिकारी शामिल होंगे। समिति को 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।"
इसके साथ ही, रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई
पुलिस ने पांच आरोपियों—हिरामणि रावत, ओम प्रकाश कोल, सुषमा कोल, विनय कुमार रावत, और उषा देवी—के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर अनुकंपा नियुक्तियां प्राप्त कीं।
इसके अलावा, जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार क्लर्क प्रसन्नधर द्विवेदी पर भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
आरोपी का नाम | आरोप |
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हिरामणि रावत | फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति |
ओम प्रकाश कोल | फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति |
सुषमा कोल | फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति |
विनय कुमार रावत | फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति |
उषा देवी | फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति |
प्रसन्नधर द्विवेदी (क्लर्क) | धोखाधड़ी और फर्जी नियुक्तियों में सहायता |
घोटाले की पृष्ठभूमि
सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला तब सामने आया जब पिछले एक वर्ष में की गई अनुकंपा नियुक्तियों की जांच शुरू हुई।
पहले एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसके बाद रीवा में पिछले वर्ष की सभी अनुकंपा नियुक्तियों की जांच की गई।इस दौरान पांच और फर्जी मामले पकड़े गए।
रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी एसएल गुप्ता ने बताया, "हमने पिछले एक वर्ष के सभी मामलों की जांच की। तब पता चला कि पांच और मामले फर्जी थे।
न तो वह व्यक्ति, जिसकी मृत्यु दिखाई गई, सरकारी नौकरी में था, और न ही वह उन लोगों का असली माता-पिता था, जिन्हें नौकरी मिली।
सभी दस्तावेज फर्जी थे।" उन्होंने यह भी कहा, "ये नियुक्तियां मेरे कार्यकाल में हुईं, लेकिन मैंने ही इस अनियमितता का खुलासा किया।"
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी है।
साथ ही, संभागीय आयुक्त के आदेश पर चार जिलों में व्यापक जांच चल रही है, जिससे इस घोटाले के और बड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
रीवा जिला प्रशासन ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
नौकरी चाहने वालों के लिए चेतावनी
यह घोटाला उन उम्मीदवारों के लिए एक सबक है जो अनुकंपा नियुक्तियों जैसे संवेदनशील अवसरों का दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं।
यह योजना उन परिवारों के लिए बनाई गई है जो अपने कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट का सामना करते हैं।
ऐसे में, फर्जी दस्तावेजों का उपयोग न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह वास्तविक जरूरतमंदों के हक को भी छीनता है।
महत्वपूर्ण जानकारी
विवरण | जानकारी |
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घोटाले का स्थान | रीवा जिला, मध्य प्रदेश |
विभाग | स्कूल शिक्षा विभाग |
आरोपियों की संख्या | 5 (और एक क्लर्क) |
जांच का दायरा | रीवा, सतना, सिद्धि, सिंगरौली |
जांच की समय सीमा | 15 दिन |