जबलपुर, 26 जून 2025: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में फॉरेस्ट गार्ड और जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा में ओबीसी (OBC) और सामान्य वर्ग (General Category) के 'विदहेल्ड' (Withheld) यानि रोके गए परिणाम वाले उम्मीदवारों की याचिकाओं पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है।
क्या हुआ?
- एक सुनवाई के दौरान, महाधिवक्ता कार्यालय ने एक याचिका (WP/20051/2025) पर हाई कोर्ट में सुनवाई पर आपत्ति जताई।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 21 मार्च 2025 के आदेश (Transfer Petition (Civil) No(s). 345/2025) का हवाला दिया।
- हाई कोर्ट ने इस आपत्ति को स्वीकार कर लिया और सुनवाई को 22 सितंबर 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह मामला विशेष रूप से रोके गए परिणामों से जुड़ा है, न कि 27% ओबीसी आरक्षण से संबंधित 13% 'होल्ड' विवाद से।
- भर्ती प्रक्रिया में 87% उम्मीदवारों का चयन होने के बावजूद, कई उम्मीदवारों के परिणाम बिना किसी कारण बताए रोके गए हैं, जबकि मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) ने उनका इंटरव्यू भी लिया है।
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
- वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का 21 मार्च 2025 का आदेश ट्रांसफर याचिकाओं से संबंधित था और उसका प्रभाव समाप्त हो चुका था क्योंकि मामले हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित हो गए थे।
- उन्होंने जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट 27% ओबीसी आरक्षण की वैधता पर विचार नहीं कर रहा है, बल्कि यह सवाल है कि क्या आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो सकती है, जैसा कि छत्तीसगढ़ के मामलों से जुड़ा हुआ है।
- सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेशों ने 58% आरक्षण लागू करने की अनुमति दी है।
संक्षेप में:
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की आपत्ति के कारण सुनवाई टाल दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व आदेश का हवाला दिया जो मामलों के स्थानांतरण से संबंधित था। यह निर्णय बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को उनके भर्ती परिणामों के बारे में अनिश्चितता में छोड़ देता है।
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